आजमगढ़ जिलाधिकारी ने दिखाई मानवीय संवेदना, 8 वर्ष के कड़े संघर्ष के बाद दिव्यांग दंपति को मिला न्याय

आजमगढ़ से धर्मेंद्र श्रीवास्तव के साथ ज्ञानेंद्र चतुर्वेदी

आज़मगढ,23जुलाई  । उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार द्वितीय ने अपने बेहतरीन प्रशासनिक दायित्व का निर्माण करते हुए एक विकलांग को भरोसा दिलाया पिछले 8 वर्षों से यह विकलांग अपने खेत में बने मकान से आने जाने के लिए रास्ते की लड़ाई लड़ रहा था और तहसील से लेकर डीएम ऑफिस तक कई चक्कर लगा चुका था । कल जब अपने मित्र विकलांग पत्नी को पीठ पर लादकर और आग बरसाती धूप में जमीन से खिसक्षी रखकर जनसुनवाई के लिए डीएम दरबार में पहुंचा । इसके जमीन पर खिसक कर जाने की खबर पूरे सोशल मीडिया में वायरल हो गई । वायरल होते ही सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले जिलाधिकारी ने तत्काल संज्ञान लिया और दिव्यांग व्यक्ति की पीड़ा को गंभीरता से सुना । उसे रास्ता बनाने के लिए भरोसा दिलाया । डीएम की इस त्वरित कार्यवाही से तहसील प्रशासन में हड़कंप मच गया ।
यह पूरा मामला जहानागंज थाना क्षेत्र के कुंजी गांव निवासी दिव्यांग अशोक कुमार और उसकी पत्नी से का है । मंगलवार 22 जुलाई की दोपहर आग बरसती चिलचिलाती धूप और उमस भरी गर्मी के बीच अशोक अपनी विकलांग पत्नी को पीठ पर लादकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचा। तो किसी ने इसका वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया । अशोक ने जिलाधिकारी को बताया कि उनका मकान गाटा संख्या 364 में स्थित है, लेकिन वहां तक पहुँचने का कोई रास्ता नहीं है। बारिश में कीचड़ और दलदल के कारण जीवन और भी कठिन हो गया है।
जनसुनवाई के दौरान डीएम ने इसका तत्काल संज्ञान लिया और चकबंदी अधिकारी को निर्देशित किया कि तुरंत पैमाइश कर रास्ता सुनिश्चित किया जाए। आज चकबंदी की पूरी टीम मौके पर पहुंच गई और नाप- जोख करके बहुत जल्द ही उसको रास्ता देने का भरोसा दिलाया।चकबंदी अधिकारी सठियांव की टीम ने उसी दिन मौके पर पहुँचकर पैमाइश की और 10 कड़ी का चकमार्ग प्रस्तावित करते हुए उसका सीमांकन करा दिया।जिलाधिकारी ने इस पर संतोष जताते हुए मुख्य विकास अधिकारी को निर्देश दिया कि मनरेगा के तहत जल्द से जल्द रास्ते पर खड़ंजा लगवाया जाए।
अशोक कुमार ने अपने दर्द की दास्तान करते हुए बताया कि करीब दस वर्ष पहले आबादी क्षेत्र छोड़ खेत में मकान बना लिया था और तभी से वह मेढ़ से होकर घर आता-जाता रहा है। चकबंदी प्रक्रिया के कारण उसका एकमात्र रास्ता भी बंद हो गया था। जिलाधिकारी रविंद्र कुमार द्वितीय की इस तरह कार्यवाही की चर्चा चारों तरफ हो रही है की वर्षों बाद अशोक को न्याय मिला ।

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